पटना से पाजेब बलम जी भोजपुरी एक बहुत मशहूर गाना है | इस गाने को लोग बहुत सुनते व पसंद करते हैं | इसलिए आज हम आपके लिए इस गाने के बोल लाये हैं जो नीचे लिखे जा रहे हैं | आपको वीडियो का लिंक भी मिलेगा जिससे आप गाना देख भी पाएंगे | आशा है आपको ये पोस्ट पसंद आएगी और आप शेयर भी जरूर करेंगे |
जेहिया बिहसी कलिता चटकबे करी , देखे वाला के मनवा बहकबे करी।
चाहे बगिया में केतनो संभरीके चलअ , काँट बाटे त अचरा अटकबे करी। ।
एक मेहरारू , अपन मरद से कह तिया , जे हमरा साध लगता , एगो सामान वा हमार गांध दी
जॉन -जॉन कहतनी आन दी ,का कहतिया
पटना से पाजेब बलम जी , हो ………………….
पटना से पाजेब बलम जी , अरे आरा से औठ लाली
मंगईद छपरा से चुनरिया छींटे वाली , मंगाई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली , मंगाई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली
पटना से पाजेब बलम जी ,
पटना से पाजेब बलम जी ,आरा से औठलाली ,
कि मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली , मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली
झुमरी तलईया से झोपदारी झुमका , झूलनी बनेले रंगबाज दिला दुमका ,
बीकानेरी बिंदिया चम – चम , बीकानेरी बिंदिया चम – चम
बनारस से बाली ,
की मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली , मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली
कानपुर से कंगना की , मुंबई से बाला ,
जिला मोतिहारी से मोतियन के माला ,
हाजीपुर से हार हसूलिया , हाजीपुर से हार हसूलिया ,
हाथरस से हाली ,
की मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली , मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली
बलिया से बिछिया , गोरखपुर से गौड़ह्ऱा ,
मिर्जापुर से मेहदी , मंगाई दिह कजरा ,
लखनऊ से लहंगा महंगा , लखनऊ से लहंगा महंगा ,
चोलिया लागल जाली ,
की मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली , मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली
पहिरि सवरिके अईबी तोरे पंजरा , केसरी औढ़ादेबो चुनरी के अचरा ,
सपने में तब नाची सजना ,सपने में तब नाची सजना
नेहिया देत काली
की मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली , मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली
पटना से पाजेब बलम जी , पटना से पाजेब बलम जी ,आरा से होठलाली
की मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली , मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली ,की मंगई द छपरा से चुनरिया छींटे वाली। ।
जेहिया -जबसे , संभरीके- संभाल कर , मेहरारू – पत्नी , औठ लाली लिपस्टिक , हसूलिया – गले का आभूषण ,
पटना से पाजेब बलम जी वीडियो – patna se pajeb balam ji video watch here
जब से कलियाँ जवान हो कर हंसने और खिल कर आने लग जाती है , तो देखने वाला कोई भी उसके प्रति आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता। चाहे बगिया में कितना भी संभल कर चलो , यदि बगिया में कांटे है , तो कांटे में अचरा / आंचल अटकेगा ही।
एक पत्नी अपने पति से कह रही है कि हम जो – जो सामान मंगा रहे हैं , वह वह खरीद देना। ऐसा कहते हुए एक – एक करके अपने पति के सामने सामानों का नाम बताती है। पत्नी कहती है ! पटना से पायल , आरा से लिपस्टिक और छपरा से छींटे वाली चुनरिया यह सभी सामान मंगवा देना।
पुनः पत्नी कहती है झुमरी तलैया से कढ़ाई वाली झुमका और जिसको मैं पहन के घूम सकूं झूम सकूँ उस रंगबाज से एक दुमका खरीद लेना। बीकानेर से माथे की बिंदिया जो चम – चम करती है , और बनारस से कान की बाली, छपरा से चुनरिया सीट वाली खरीदना।
कानपुर से कंगना , मुंबई से बाला और मोतिहारी से मोतियों की माला , मोतिहारी से गले का हार और हाथरस से हंसूली , छपरा से छूटने छींटे वाली चुनरिया मंगा देना।
बलिया से बिछिया , गोरखपुर से गोड़हरा पैरों का आभूषण , मिर्जापुर से मेहंदी और कजरा जो बालों में पहनते हैं , लखनऊ से महंगी वाली लहंगा लाना जिसमें ब्लाउज जालीदार हो , छपरा से छींटे वाली चुनरिया भी लेते आना।
यह सभी आभूषण वस्त्र पहन के सवर के जब मैं तुम्हारे पास आऊंगी तो तुम्हें केसरी रंग की चुनरी आंचल तुम्हारे सिर पर औढ़ा दूंगी और सपने में , मैं पहन सवर के फिर खिलाऊंगी नाचूंगी और तुम्हारी आंखों की बलिया लूंगी।
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